Class X, Hindi Kshitij Chapter 3 - Dev देव - NCERT Solutions of CBSE Textbook Exercise - Part I

 

Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 - Cbse Ncert Solution 

Chapter 3, Dev (देव - सवैया कवित्त)

NCERT Solutions of CBSE Hindi Textbook Chapter 3 Kshitij Bhag 2 Exercise Questions 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर 
Question 1. कवि ने 'श्रीब्रजदूलह' किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?   
Solution:  कवि ने 'श्रीब्रजदूलह' श्रीकृष्ण के लिए प्रयुक्त किया है। कवि उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार एक दीपक मंदिर में प्रकाश एवं पवित्रता का सूचक है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण भी इस संसार-रूपी मंदिर में ईश्वरीय आभा का प्रकाश एवं पवित्रता का संचार करते हैं। उन्हीं से यह संसार प्रकाशित है।          
Question 2. पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।  
Solution: अनुप्रास अलंकार
कटि किंकिनि कै, पट पीत, हिये हुलसै, जै जग। 
रूपक अलंकार -      
मंद हँसी मुखचंद जुंहाई, जय जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।   
Question 3. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -
                   पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई। 
                   . . . . . . . . . हिये हुलसै बनमाल सुहाई।  
Solution:  भाव सौंदर्य -
इन पंक्तियों में कृष्ण के अंगों एवं आभूषणों की सुन्दरता का भावपूर्ण चित्रण हुआ है। कृष्ण के पैरों की पैजनी एवं कमर में बँधी करधनी की ध्वनि की मधुरता का सुन्दर वर्णन हुआ है। कृष्ण के श्यामल अंगों से लिपटे पीले वस्त्र को अत्यंत आकर्षक बताया गया है। कृष्ण का स्पर्श पाकर ह्रदय में विराजमान सुंदर बनमाला भी उल्लसित हो रही है। यह चित्रण अत्यंत भावपूर्ण है। 
शिल्प-सौंदर्य -   
देव ने शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। पंक्तियों में रीतिकालीन सौंदर्य-चित्रण का झलक है। साथ में अनुप्रास अलंकार की छटा है। श्रृंगार - रस की सुन्दर योजना हुई है।    
Question 4. दुसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है? 
Solution: कवि देव के अपने कवित्त में ऋतुराज वसंत के बालरूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से अलग है। परम्परागत रूप से वसंत का वर्णन ऋतुओं के राजा के रूप में किया जाता है, जो प्रकृति को नवजीवन प्रदान करता है, जिसके आने पर प्रकृति खिल जाती है। एक राजा की भाँति वसंत अपनी प्रकृति रूपी प्रजा का ध्यान रखता है, किंतु यहाँ देव ने वसंत का वर्णन ऋतुराज के रूप में न करके एक बालक के रूप में किया है और प्रकृति इसका प्यार-दुलार कर रही है। 
इस कविता में वसंत को कामदेव के बालक के रूप चित्रित कर उससे उत्पन्न हुआ बताया गया है, जबकि परम्परागत वसंत का वर्णन में वसंत ऋतु से कामदेव को उददीप्त हुआ बताया जाता है।      
Question 5. 'प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै' - इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। 
Solution: उपरोक्त पंक्ति के द्वारा कवि ने वसंत ऋतु की सुबह के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। वसंत ऋतु को राजा कामदेव का पुत्र बताया गया है। बालक वसंत को प्रातःकाल गुलाब चुटकी बजाकर जगाते हैं। वसंत ऋतु में सवेरे जब गुलाब के फूल खिलते हैं तो वसंत के दिवस का प्रारंभ होता है। कहने का आशय यह है कि वसंत में प्रातः ही चारों ओर गुलाब खिल जाते हैं।     

8 comments:
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